हर तरफ से सीखिए
एक फकीर से किसी ने पूछा कि उसका गुरु कौन है ? तो पूछने वाला बहुत हैरान हुआ जब उसने बताया कि उसका गुरु एक चोर है सबसे पहले जिससे कुछ सिखा वो चोर था.
फकीर ने बताया, मैं एक गाँव में गया . आधी रात हो चुकी थी, दरवाजे सभी के बंद थे तभी एक आदमी रस्ते पर मिला, उसने कहा अब दरवाजे तो बंद है आप मेरे साथ ही आये और ठहर जाए पर मैं एक चोर हूँ हो सकता है आप साधू है मेरे यहाँ ठहरना उचित न समझे .
साधू ने बताया वह उसकी सच्चाई और इमानदारी से प्रभावित हुए क्योकि वे भी इतना सच्चा नहीं थे जितना चोर था. मैंने उसके पैर छुए और प्रणाम किया और कहा कि तुम आज से मेरे गुरु हुए आज मैंने सच्चाई सीखी .
मैं चोर के साथ उसके घर गया ,मुझे सुलाकर चोर ने कहा, क्षमा करे, अब तो मेरे धंधे का वक्त है, मैं जाता हूँ आप विश्राम करे मैं सुबह को तीन- चार बजे लौटुगा .वह चोरी करने चला गया .
सुबह करीब पांच बजे वो लौटा तो मैंने पूछा क्या सफलता मिली कुछ हाथ लगा ? तो चोर हँसता हुआ बोला आज तो नहीं पर कल फिर कोशिश करेगे . मैं एक महीने तक उस चोर के घर में रहा वह रोज सुबह जब लौटता तो मैं पूछता कुछ लाये तो वो कहता आज नहीं लेकिन कल – कल जरूर लेकर आयेगे .
साधू ने बताया , मैं भी भगवान को खोजने निकला था, खोजता था नहीं मिलता था ,थक जाता था निराश हो जाता था और सोचता था अब ये सब छोड़ दूंगा . पर इस चोर कि वजह से मैं भटकने से बच गया तब मुझे चोर की याद आती जो हमेश कहता, आज नहीं तो कल मिल जायेगा.
जब एक साधारण सा चोर अगर कल पर इतना विश्वास रखता है,आशा रखता है,साहस रखता है फिर मैं तो परमात्मा खोजने निकला हूँ .मुझे भी इतना जल्दी निराश नहीं होना चाहिए आज नहीं तो कल मिल ही जायेगा . आख़िरकार एक दिन मुझे परमात्मा की अनुभूति हुई उस चोर से मैंने यह आशा सीखी यह हिम्मत सीखी.मैं उसको प्रणाम करता हूँ .
जिन्दगी में सिखने की बात तो सब तरफ से सीखी जा सकती है केवल वे ही लोग जो अपने मस्तिस्क के दरवाजो को बंद कर लेते है सिखने से वंचित रह जाते है.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति …….
पढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
सवाल ये भी है कि क्या लोग कुछ सिखाना भी चाह रहे है यहाँ तो हर कोई खुद को ही सबसे विद्वान् समझ कर दूसरो को ही सिखाने में लगा है वो किसी से भी कुछ नहीं सीख सकता है | कहानी अच्छी है और सिख भी|
bhut sahi lagan se kuch bhi mil sakta hai
असल में आज कोई कुछ सीखना ही नहीं चाहता। लेकिन यह सच है कि हम अच्छी से अच्छी बाते भी बहुत ही साधारण से व्यक्ति से सीख लेते हैं और कम से कम मैं तो। क्योंकि बड़ों के पास केवल उपदेश होते हैं और छोटों के पास प्रायोगिक कर्म।
Bahut khoob..jahan dimaag khula hota hai,har orse gyan wardhan hota rahta hai.
agar lagan hain, vishwaas hain, kuch kar gujarne ki chah hain, to har mod aapke liye gyaan ki roshni se ujaagar hoga.
bahut accha laga padhkar.
waah bahut hi achchi kahani..
बहुत शानदार कहानी, प्रेरक।
सीखने को तैयार हों तो कहीं से भी कुछ सीखा जा सकता है।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति—प्रेरक।
bilkul sahi baat….
बहुत सुन्दर बोध कथा। धन्यवाद।
Prasang kafi prerak hai