बिहार के यतीन्द्र कश्यप अपने मेहनत के बदौलत बने लोगो के आदर्श यतींद्र कश्यप आज मछलीपालन के व्यवसाय से सालाना 90 लाख तक की आमदनी कर रहे है|
बाढ़ की विभीषिका से बुरी तरह बेहाल बिहार के 16 जिलों में से एक मोतिहारी का भी नाम आता है, इस विभीषिका का दंश झेल रहे मोतिहारी निवासियों के लिए रोजी-रोटी के लिए मोतिहारी से पलायन करना ही एक मात्र विकल्प था पर इसी मोतिहारी वासियों में एक व्यक्ति एसा भी था जिसने अपने मेहनत के बदौलत बाढ़ रूपी अभिशाप को वरदान में बदलकर सालाना 90 लाख तक की आमदनी कर रहा है वो व्यक्ति है यतीन्द्र कश्यप जो अपने इलाके के तमाम किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं |
यतीन्द्र कश्यप के पूर्वज भी करते थे मछली-पालन
बिहार के मोतिहारी (Motihaari, Bihar) जिले के संग्रामपुर प्रखंड के निवासी किसान यतींद्र कश्यप (Yatindra Kashyap) आज मछलीपालन (Fisheries) के व्यवसाय से लाखों रुपये कमा रहे हैं | दरअसल इस इलाके में जल का विशाल भंडार है जिससे यतीन्द्र कश्यप (Yatindra Kashyap) को मछली पालन (Fisheries) में फायदा मिल जाता है | एक तरफ जहां किसानों की हालत काफी दयनीय बनी हुई है वहीँ यतीन्द्र कश्यप जैसे किसानों का मछली पालन के जरिए लाखों रुपये कमाना सभी किसानों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ पर शुरू में तो उन्हें भी जानकारी के आभाव में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था कई सारे विशेषज्ञों से मिलने के बाद उन्हें पता चला कि मछली पालन (Fisheries) के लिए नई तकनीक को अपनाना ही फायदेमंद हो सकता है | आज उनकी आमदुनी लाखों में हो गई है | वैसे मछली पालन (Fisheries) उनका पुश्तैनी पेशा है और उनके पूर्वज पहले भी मछली पालन करते आए हैं |
मछली पालन के लिए सरकार के तरफ से भी दिया जाता है अनुदान
बिहार (Bihar) के कई इलाकों में मछली पालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। एक तालाब बनाने पर सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाता है। मछली पालन (Fisheries) के लिए एक बड़ा तालाब बनाने में लगभग 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन इस व्यवसाय में लाभ इतना ज्यादा होता है कि लोग इतना तो जोखिम ले ही लेते हैं | हालांकि इसमें लगभग 2 साल तो लग ही जाते हैं | यतींद्र (Yatindra Kashyap) के अनुसार यह काम उन्होंने आज से 5 साल पहले शुरू किया था, लेकिन उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, सो काफी नुकसान भी उठाना पड़ा | इसके बाद उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की | बहुत सारे विशेषज्ञों से मिलने के बाद उन्हें पता चला कि मछली पालन (Fisheries) के लिए नई तकनीक को अपनाना ही फायदेमंद हो सकता है उन्हें मालूम चला कि हेचरी से एक हैच में जितना मछली का बच्चा पैदा होता है उसका बाजार मूल्य तीन से पांच लाख रुपया होता है। जबकि महीने में वैसे पांच हैच कराए जाते हैं जो आमदनी के रूप में लगभग 20 लाख रुपया देता है। पूरे साल में इसकी डिमांड बाजार में छह महीने तक रहती है। वे 25 एकड़ में फैले तालाबों से 50 टन मछली पालन करते हैं। जो बाजार के हिसाब से लगभग 75 लाख रुपए इनकम कराता है।
नीली क्रांति और मुख्यमंत्री मतस्य विकास योजना के तहत यतीन्द्र कश्यप रेहू, कतला, नैनी जैसी मछलियों का पालन कर रहे हैं | इससे यतीन्द्र कश्यप की आय तो बढ़ ही रही है साथ ही इलाके में कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने में भी मदद मिल रही है | मछली में सुपाच्य प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर के विकास के लिए उपयुक्त होता है | मोतिहारी (Motihaari, Bihar) जिले में मछली पालन (Fisheries) की असीम संभावनाएं हैं | अगर यहाँ के किसान इस ओर गंभीरता से ध्यान दें तो उनकी हालत काफी हद तक सुधर सकती है |
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