कन्या भूर्ण हत्या को रोक रही है बिहार की दो जाबांज बेटियां “सादिया और आफरीन” महिलाओं को समझाने के लिए वे स्पष्ट कहती हैं, “क्या अपने बच्चों (भ्रूण) को कुत्ते और बिल्लियों को खाने के लिए बाहर छोड़ देंगी? आखिर इन्हीं में से कोई सानिया मिर्जा, रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुल्तान बनेंगी।”
भ्रूण हत्या एक ऐसा अभिशाप जिससे हमारा समाज बुरी तरह ग्रस्त है | इसे लोगों की छोटी सोच कहें या गिरी हुयी मानसिकता | ये जो भी है एक शर्मनाक बात है | वो भारत जहाँ औरत को देवी माना जाता है | माँ और बहन को सम्मान की नजरों से देखा जाता है | उस भारत में भ्रूण हत्या जैसा कुकृत्य करना तो दूर सोचना भी एक पाप सा लगता है |केंद्र सरकार हो या बिहार सरकार, प्रतिवर्ष भ्रूण हत्या रोकने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर के एक अल्पसंख्यक परिवार की दो बेटियां न केवल कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ लोगों को नई राह दिखा रही हैं, बल्कि दहेज और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी लोगों को जागरूक कर रही हैं |
गाँव-गाँव जाकर लोगों को कर रही है जागरूक
बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzzafarpur, Bihar) जिले के मीनापुर के अल्पसंख्यक बहुल खानेजादपुर गांव निवासी मोहम्मद तस्लीम की दोनों बेटियां सादिया व आफरीन (Sadiyaa & Aafreen) पिछले तीन वर्षो से गांव-गांव जाकर लोगों को कन्या भ्रूणहत्या (Female Foeticide) के खिलाफ जागरूक कर रही हैं | सादिया व आफरीन (Sadiyaa & Aafreen) दोनों बहनें तीन साल में डेढ़ दर्जन से ज्यादा भ्रूणहत्याएं रोक चुकी हैं | उनके प्रयास का असर अलीनेउरा, रामसहाय छपरा, नूर छपरा, बहवल आदि गांवों में दिखता है | स्नातक की छात्रा व 21 वर्षीया सादिया और 12वीं की छात्रा व 18 वर्षीया आफरीन ने आईएएनएस को बताया कि वर्ष 2012 से वे लोग जनसंख्या नियंत्रण, कन्या भ्रूणहत्या (Female Foeticide) के खिलाफ गांव-गांव जाकर लोगों को, खासकर महिलाओं को जागरूक कर रही हैं |
सामाजिक कुरीतियों से जुड़ी खबरों को पढ़कर शुरू किया मुहीम
दोनों बहनें सादिया व आफरीन (Sadiyaa & Aafreen) सामाजिक कुरीतियों से जुड़ी खबरों पढ़कर और सुनकर इस मुहिम को शुरू करने की प्रेरणा मिली थी | इस मुहिम में जब परिवार का साथ मिला तो हौसला बढ़ा | अब इसे व्यापक बनाने में स्वयंसेवी संस्था ‘मानव डेवलपमेंट फाउंडेशन’ (Manav Development Foundation) की भी मदद मिल रही है |दरवाजे पर किराना दुकान से परिवार चलाने वाले दोनों बेटियों के पिता मोहम्मद तस्लीम ने कहा कि उनकी पांच बेटियां और एक बेटा है, लेकिन कोई भी बेटी उनके लिए बेटों से कम नहीं है | मानव डेवलपमेंट फाउंडेशन (Manav Development Foundation) के सचिव वरुण कुमार आईएएनएस से कहते हैं कि ये दोनों लड़कियां (Sadiyaa & Aafreen) अलग-अलग साइकिल पर सवार होकर कंधे पर झोला लटकाए और उसमें अखबार की कटिंग और भ्रूणहत्या (Female Foeticide) की कई खबरों को लिए गांवों में पहुंचती हैं
सादिया व आफरीन (Sadiyaa & Aafreen) महिलाओं को भ्रूणहत्या (Female Foeticide) से जुड़ी कई भावनात्मक बातें बताती हैं और उन्हें भ्रूणहत्या करने से रोक लेती हैं | इसका प्रभाव भी उन महिलाओं को तत्काल दिखता है | आफरीन बताती हैं कि महिलाओं को समझाने के लिए वे स्पष्ट कहती हैं, “क्या अपने बच्चों (भ्रूण) को कुत्ते और बिल्लियों को खाने के लिए बाहर छोड़ देंगी? आखिर इन्हीं में से कोई सानिया मिर्जा, रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुल्तान बनेंगी।” वर्ष 2012 में जमालाबाद की महिला ने चौथी बार गर्भधारण किया तो परिजन भ्रूण गिराने का दबाव डाल रहे थे | वह तीन बेटियों को जन्म दे चुकी थी | तब सादिया और आफरीन ने विरोध किया | पूरे परिवार को समझाया। जन्म लेने वाली लड़की का नाम जन्नत रखा और आज परिवार चौथी बेटी के साथ खुश है |
वर्ष 2014 में शिवहर जिले में एक महिला को उसके परिजनों ने बेटी जन्म देने पर घर से निकाल दिया | इसे जानकर दोनों ने उस महिला की मदद करने की ठानी | परिजनों से बातकर उन्हें समझाया-बुझाया और महिला को घर में प्रवेश दिलाया। आज यह परिवार खुशी के साथर जीवन गुजार रहा है |
अल्लाह ने पृथ्वी पर अच्छे कर्म करने के लिए भेजा है और आज उन्हें इस काम से काफी सुकून मिलता है | शिक्षिका बनाना अल्लाह की रहम है, मगर मैं महिलाओं को जागरूक करना नहीं छोड़ूंगी |
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