अश्विनी नंदकिशोर ( Ashwini Nandkishore )स्विगी की पहली महिला डिलिवरी पार्टनर पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में महिलाओं के लिए अलग जगह बनाने वाली अश्विनी नंदकिशोर
पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में महिलाओं के लिए अलग जगह बनाने वाली अश्विनी नंदकिशोर ( Ashwini Nandkishore ) जो स्विगी में डिलीवरी गर्ल का काम करती है |
बेंगलुरु शहर के संकरे रास्तों पर सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक डिलीवरी का काम करती है |
डिलीवरी गर्ल अश्विनी नंदकिशोर ( Ashwini Nandkishore ) जो बेंगलुरु जैसे बड़े शहर के संकरे रास्तों और ट्रैफिक से भरी सड़कों पर सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ड्राइव कर डिलीवरी का काम भी करती है | अश्विनी अगर चाहती तो कुछ और जॉब भी कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने खाना डिलिवर करने को ही अपना पेशा चुना जिससे वो आज खुद को खुश महसूस कर पा रही हैं।अश्विनी जानती है की वो समाज के दुवारा बनाए गए परंपरागत और रूढ़िवादी ढांचे को तोड़ रही हैं।
2019 में अपनी मां और 12 साल की बेटी के साथ बेंगलुरु आई थीं।
34 वर्षीय अश्विनी ( Ashwini Nandkishore ) जिनका जन्म गुजरात के वड़ोदरा में हुआ था | इन्होने 2019 में अपनी मां और 12 साल की बेटी के साथ बेंगलुरु आई थीं। क्यूंकि वो चाहती है की मुझे जो कठिनाई झेलनी पड़ रही है वो मेरी बेटी को झेलनी न पड़े इसलिये उसकी उच्च और अच्छी शिक्षा के लिए बंगलुरु जैसे बड़े शहर में आने का फैसला किया था ।ताकि उनकी पढ़ाई-लिखाई अच्छी हो इसीलिए वो शहर में आई।’
अश्विनी सिर्फ 10वीं तक पढ़ी हैं। इसके बाद उनकी शादी कर दी गई थी । शादी के कुछ दिनों बाद वे एक कंपनी में सुपरवाइजर की नौकरी करने लगीं। लेकिन उनका यहां उनका मन नहीं लगा जिस कारण से उन्होंने ये नौकरी से इस्तीफा दे दिया |
ड्राइविंग करने का पैशन ने बना डाला डिलीवरी गर्ल
अश्वनी ( Ashwini Nandkishore ) कहती है ये वो वक़्त था जब फूड डिलिवरी का बिजनेस काफी लोकप्रिय हो चूका था। और मुझे ड्राइविंग करने में शुरू से काफी रूचि रही है इसलिए मै सोंची की क्यों न इस काम को किया जाए क्यूंकि मुझे इसमें इंटरेस्ट था | लोगों की पुरानी मानसिकता के अनुसार कोई डिलीवरी गर्ल की नौकरी नहीं देना चाहता था क्यूंकि उनलोगों का कहना था की लड़कियों को घर जा कर खाना डिलीवर करना शोभा नहीं देता इसी सोंच को लेकर उनको हर जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी | लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया और संयोगवश से अश्विनी को स्विगी में डिलिवरी एग्जिक्यूटिव की नौकरी मिल गई। उस समय वो गुजरात के वड़ोदरा शहर में स्विगी Swiggy के साथ डिलिवरी पार्टनर के तौर पर काम करने वाली वो पहली महिला बन चुकी थीं।
समाज ने भी सराहा और बढ़ाया उत्साह
वड़ोदरा में वह अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा की ‘मेरा मानना है कि जब महिलाएं कुछ अलग करती हैं तो पुरे समाज की नजरें उनपे टिकी रहती है | जब मैंने इस काम की शुरुआत की थी तो इस समाज ने मुझे काफी सराहा और मेरा उत्साह बढ़ाया तथा ग्राहकों ने भी मेरी तारीफ की और मेरी सर्विस से खुश थे।
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अश्विनी आज के समय में फुल टाइम स्विगी के साथ ही काम कर रही हैं। कई- कई बार तो वे दिन भर में 18 डिलिवरी भी कर देती हैं। बड़े शहरों में इतनी ट्रैफिक के बावजूद वे काफी अच्छे से काम कर रही हैं।उनके अनुसार आपका काम कठिन परिश्रम और लगन पर निर्भर करता है।
मेडिकल इंश्योरेंस और तमाम सुविधाएं भी दी जाती है अश्वनी को |
वो आगे कहती है की उनके पास अच्छे सहकर्मी और ग्राहक हैं, जो मेरे काम की सराहना करते नहीं थकते जो मेरे लिए बहुत मायने रखता है। इस अनजाने शहर में जहाँ की भाषा कन्नड़ थी जो मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आती, फिर भी इससे मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। यहां के लोग बेहद मददगार हैं। उन्होंने आगे बताते हुए कहा की उन्हें यहाँ काम करना इसलिए अच्छा लगता है क्यूंकि मुझे यहाँ पर्याप्त छुट्टी भी दे दी जाती है। मेरे सीनियर हमेशा मेरी बात सुनते हैं और कोई समस्या आती है तो तुरंत उस समस्या का समाधान करने में भी मदद करते हैं। मुझे यहाँ मेडिकल इंश्योरेंस और तमाम सुविधाएं भी मिलती हैं।
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अश्वनी के इस काम को उनका परिवार पूरा सपोर्ट करता है क्यूंकि उनलोगों का मानना है की नौकरी छोटी या बड़ी नहीं होती है और महिलाएं कोई भी काम कर सकती हैं।
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