अमेरिका जैसे महान देशों में भारत के राजदूत के रूप में अपनी सेवा दे चुके शहीद भगत सिंह के वकील आसफ अली| आजादी की लड़ाई में भगत सिंह का हर कदम परसाथ देने वाले आसिफ अली |
हमारे देश मे आजादी की जंग के दौरान न जाने कितने वीरों ने जानें गवा दी थी उन्ही में से एक थे भगत सिंह |आज देश का हर एक बच्चा भगत सिंह के नाम और आजाद हिन्दुस्तान में दिये गये उनके बलिदान से वाकिफ है।
अखण्ड भारतवर्ष की लड़ाई में अपनी भागीदारी निभाने वाले दो वीरपुत्र भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त|
आजादी की लड़ाई में समूचे अखण्ड भारतवर्ष से अंग्रेजों के प्रति प्रतिषोध की ज्वाला मे भड़क रही थी , कोई अहिंसा के मार्ग पर चल कर तो कोई हिंसात्मक रास्ता अपना कर अंग्रेजों का विद्रोह कर रहे थे | लेकिन इस लड़ाई के दौरान कुछ ऐसे चेहरे भी उभर कर सामने आए जिन्होंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली, वो लोग थे “भगतसिंह”, “चन्द्रशेखर आज़ाद”, “बटुकेश्वर दत्त”, “सुखदेव”, “राजगुरु” और उनके तमाम साथी। ये बात उनदिनों की है जब गांधी जी का असहयोग आंदोलन चरम पर था | लोगों को आशा थी की आज़ादी जल्द ही मिलेगी | लेकिन सभी देशवासियों को झटका देते हुए जब गांधी जी ने ये आंदोलन चौरी चौरा कांड की वजह से वापस ले लिया तो लोगों के हौसले टूट गया | उस समय प्रेस व मीडिया स्वतन्त्र नहीं हुआ करती थी , अंग्रेजों के अधीन हुआ करती थी इसलिए अपनी बातों को लोगों तक पहुचान काफी मुश्किल था इसलिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली में बम फेंकने का निर्णय लिया , जिनका उद्देश्य था की जान को नुकसान न हो , सिर्फ बम फटने की आवाज़ और धुँवा ही हो।बम फेकने के पश्चात इन दोनो वीर पुत्रों की गिरफ़्तारी हो गयी जहाँ इन दोनों ने ऊँची आवाज़ में भारत माता की जय तथा इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए और अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध पर्चे बांटे।
मुस्लिम परिवार में जन्मे आसिफ अली जिन्होंने लेजिस्लेटिव असेंबली में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के बम फेंकने के केस मे की थी मदद |
उस समय भी देश में एक से एक नामचीन वकील हुआ करते थे | जिनका नाम आसिफ अली था | जो आजादी की लड़ाई में हर कदम पर उनका साथ देता था। जिसका जन्म साल 1888 में 11 मई को हुआ था।जिनका नाम आसफ अली था जो एक मुस्लिम परिवार से आते थे | जिन्होंने भगत सिंह का मुकदमा भी लड़ा था। आसफ अली जो की अमेरिका में भारत के पहले राजदूत थे।जो कभी ओडिशा में गवर्नर पद पे भी अपनी सेवा दे चुके थे |जिन्होंने लेजिस्लेटिव असेंबली में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के बम फेंकने के केस में उनकी मदद की थी |
भारत सरकार ने जिनके इन्तिकाल के बाद किए इनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किए |
जब उनकी शादी 1928 में अरुणा गांगुली से हुई तो कई लोगों की त्योरियां चढ़ा दी थी क्योंकि अरुणा गांगुली एक हिंदू परिवार से थी |और साथ साथ ये अली से २१ साल छोटी थी जिस कारण लोग इनसे नाराज थे इसके बावजूद ये दोनों ने एक-दूसरे के साथ रहने का फैसला किया था | 1935 में अली का चुनाव मुस्लिम नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में हुआ था |ये स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और वैटिकन में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवा दे चुके है | भारत सरकार ने इनके इन्तिकाल के बाद इनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किए |
- अमेरिका जैसे महान देशोंमें भारत के राजदूत के रूप में अपनी सेवा दे चुके शहीदभगत सिंह के वकील आसफ अली| आजादी की लड़ाई में भगत सिंह का हर कदम परसाथ देने वाले आसिफ अली | - March 1, 2020
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