बांका की गोल्डन गर्ल ‘दिव्यांग अर्चना’ Divyang Archana के जज्बे का हर कोई है कायल अर्चना के कमर के नीचे का भाग बेजान है बावजूद इसके उसने पैरालम्पिक गेम्स में कई अंतर्राष्ट्रीय पदक अपने नाम किए
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है |
मत कर इतना यकीन हाथों की इन लकीरों पर तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते ||
यह कथन बांका की दिव्यांग खिलाडी अर्चना पर ( Divyang Archana ) सटीक बैठती है जिन्होंने अपनी शारीरिक अपंगता को धत्ता बताते हुए बतौर खिलाड़ी अपने सूबे का नाम रौशन की | अर्चना के कमर के नीचे का भाग बेजान है बावजूद इसके उसने पैरालम्पिक गेम्स में कई अंतर्राष्ट्रीय पदक हासिल किए | इस उपलब्धि के कारण चुनाव आयोग ने अर्चना को मतदाता जागरूकता के लिए ब्रांड एम्बेसडर बनाया था और उसे सरकारी नौकरी भी मिली |
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छत से उतरने के क्रम में हुई थी घटना का शिकार
25 अक्टूबर 1992 को जन्मी अर्चना, महेश मंडल एवं फूलवती देवी के चार संतानों में इकलौती बेटी है | 18 अगस्त 2006 की रात छत से उतरने के दौरान सीधे जमीन पर आ गिरी | इस दुर्घटना ने उसके कमर से निचे का भाग बेजान कर दिया | परिवार वाले अर्चना के इलाज में कोई कसर न छोड़े पर सारा प्रयास विफल रहा |
एक फौजी चिकित्सक ने दिखाई राह
एक सेना से सेवानिवृत एक चिकित्सक ने इलाज के दौरान अर्चना ( Divyang Archana ) का हौसला बढ़ाया और उसे कुछ व्यायाम सिखाए | उसके बाद अर्चना के अंदर भी कुछ कर गुजरने की भावना ने जन्म लिया | उसके बाद अर्चना Archana ने दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और न तो पढ़ाई न खेल में उसने कभी पीछे मुड़कर देखा | राजधानी पटना में प्रैक्टिस के दौरान उसे राज्य स्तरीय पारा एथलेटिक्स में भाग लेने का अवसर मिला | अर्चना ने मिले इस अवसर को अच्छी तरह से भुनाया और जेवलिन थ्रो, डिस्क थ्रो, और शॉर्टपुट में बेहतरीन प्रदर्शन किया | यहीं से अर्चना का वर्ष 2009 में नेशनल जूनियर पारा एथलेटिक्स में चयन हो गया | जहां अर्चना ने डिस्क थ्रो में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक पाने नाम की | इसके बाद वर्ष 2010 में हरियाणा में आयोजित एक प्रतियोगिता में अर्चना ने शॉर्टपुट एवं डिस्क थ्रो में दूसरा तथा जेवलिन थ्रो में तीसरा स्थान हासिल किया |
बिहार सरकार ने दी नौकरी
चीन के बीजिंग, इंडोनेशिया के जकार्ता एवं दुबई के आईवास तक भारत की प्रतिनिधि बन अर्चना ने अपने हौसलों के बल पर बेहतर प्रदर्शन किया , परिणाम स्वरुप 24 जनवरी बालिका दिवस के अवसर पर भागलपुर समाहरणालय में बतौर लिपिक पद के लिए अर्चना को नियुक्ति पत्र दिया गया | और 27 जनवरी से अर्चना ( Divyang Archana ) यहां पर अपनी सेवा दे रही है |
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