सुनी हो गई बाबा की नगरी, नहीं लगेगा इस बार ‘श्रावणी मेला’ कहा जाता है की इन दुकानों की जो कमाई सावन के महीने में होती थी उससे इनका एक वर्ष का गुजारा आराम से हो जाता था
सावन का महीना आते हीं दुनियाभर के श्रद्धालु भक्तों के आस्था के प्रतिक झारखण्ड स्थित बाबा की नगरी देवघर श्रद्धालुओं से पट जाता था, पर इस बार बिल्कुल सुनी पड़ी है बाबा की नगरी, झारखण्ड के देवघर बाबा बैद्यनाथधाम व दुमका बासुकीनाथ में लगनेवाला श्रावणी मेला इस बार आयोजित नहीं होगा | इस फैसले के साथ हीं लाखों लोग जिनकी जीविका देवघर बाबा बैद्यनाथधाम व दुमका बासुकीनाथ में आये श्रद्धालुओं से चलती थी उनपर भी गहरे संकट छा गए !
पूजा सामग्री बेचने वाले दुकानदार भुखमरी के कगार पर
पहले बाबा धाम मंदिर के आसपास की गलियां दिन-रात श्रद्धालुओं से गुलजार रहा करती थीं, लेकिन आज इन गलियों में सन्नाटा पसरा है | मंदिर बंद होने की वजह से वजह से श्रद्धालु भी देवघर नहीं आ रहे हैं | इसका सीधा असर सिंदूर-बद्दी बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले छोटे व्यापारियों पर पड़ा है |
इस बार सावन में सुनी है देवघर नगरी
देवघर में बाबा मंदिर के आसपास सिंदूर-बद्दी बेचने वाले लगभग तीन हजार दुकानदार और खुदरा विक्रेता हैं, जो प्रतिदिन पूजा सामग्री बेच कर औसतन 3 से 4 सौ रुपये की कमाई कर लेते थे, लेकिन अब परिस्थितियां बिलकुल विपरीत है आज इनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है | घूम-घूम कर बद्दी बेचने वालों की स्थिति तो और विकट हो गई है | किसी तरह गुजर-बसर करने के लिए ये लोग अब घर-घर जाकर बद्दी एवं अन्य पूजा समाग्री बेचने को मजबूर हैं |
एक महीने की कमाई से चलता था पुरे वर्ष का खर्चा
देवघर में भगवान् शंकर के जलाभिषेक करने के लिए सावन के महीने में देश के कोने-कोने से रोजाना लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा सुल्तानगंज में लगता था और यहीं से शुरू होती थी 105 किलोमीटर की लम्बी कांवर यात्रा | इन कांवर यात्रियों के लिए रोड के दोनों किनारे सुल्तानगंज से देवघर तक लाखों अस्थाई दुकाने सज जाती थी |कहा जाता है की इन दुकानों की जो कमाई एक महीने में होती है उससे इनका एक वर्ष का गुजारा आराम से हो जाता था |
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